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देख जरा नव रंग-सूरज लाए दिवस नव

संदीप कुमार सिंह 09 Jun 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5941 0 Hindi :: हिंदी

बहुत हुआ है देर अब,अब तो आंखें खोल।
सूरज लाए दिवस नव,जो है अति अनमोल।।

नित्य बढ़े यह रोग अब, अब तो आंखें खोल।
मानवता पर घात है, हो जाएं सब गोल।।

अब तो आंखें खोल कर, देख जरा नव रंग।
बदले हुए मिजाज से,बंद करो बद जंग।।

अब तो आंखें खोल लो,जीवन कर अनुकूल।
कर लो दृढ़ संघर्ष तो,नव्य खिलेंगे  फूल।।

अब तो आंखें खोल दो,सब में भरें विवेक।
धरती हो गुलजार तब,जन जन हो तब नेक।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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