Rambriksh Bahadurpuri 13 Nov 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri #Kavi Rambriksh Bahadurpuri #Ambedkarnagar poetry #Deepawali per kavita 10192 0 Hindi :: हिंदी
मैं वही दीप हूॅं मैं दीप वही,जो कल जलता था हर एक घर में कोने-कोने मुझे सजाया था हर कोई एक पंक्ति में एक कतार में अपने ही हाथों से मुझको रखा मिटने हेतु अंधेरा पूजा मुझको श्री रूप में आंगन में मीठे भावों से, क्यों आज नहीं वह भाव नहीं सम्मान मेरा क्यों? पड़ा हुआ हूं गिरा हुआ हूॅं बिखरा फूटा इधर-उधर मैं आज उठाना उसी हाथ से क्यों लगता है भार तुम्हें समझा जिसको भाग्य लक्ष्मी आज बुझा मैं वही दीप हूॅं। रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...