Km Shalini 28 Sep 2023 कविताएँ समाजिक #लालच#हर दिन#जो है कद्र करो 15595 0 Hindi :: हिंदी
हर दिन हम एक नया, सपना देखते हैं। पहले को, पूरा किया नहीं, फिर भी, दूसरा देखते हैं। यही इंसानी फितरत है, जो है उससे, संतुष्ट नहीं, जो नही, उसकी चाह है इसलिए कठिन ये राह है। चैन से रहना, है अगर, लालच पर, अंकुश लगाओ। धन संग्रहण के चक्कर में, जो है उसे, न गंवाओ।।