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नयनों की सीमा रहे-मिले खुदबखुद प्यार

संदीप कुमार सिंह 30 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5355 0 Hindi :: हिंदी

दोहा छंद 
नयनों की सीमा रहे,मिले खुदबखुद प्यार।
करते तब इजहार भी,फिर होता स्वीकार।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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