संदीप कुमार सिंह 10 Nov 2023 कहानियाँ समाजिक मेरी यह कहानी समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगे। 7113 0 Hindi :: हिंदी
अकबर राजा देश के सबसे बड़े राजा थे। जितना बड़ा उनका महल था उतने ही उनके दरबार में दरबारी भी थे। इन दरबारियों में हर तरह के बुद्धिजीवी, कलाकार और अपने अपने क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग थे लेकिन इनमें से भी बीरबल जैसे कुछ ही लोग बादशाह के शाही सलाहकार थे। कई दरबारी बादशाह के शाही सलाहकार बनने का सपना देखते थे। वे अंदर ही अंदर बीरबल से ईर्षा भी करते थे। एक बार सभी दरबारियों ने मिलकर अकबर से बात की और उन्हें अपनी इच्छा बताई कि वह भी शाही सलाहकार बनना चाहते हैं। अकबर ने सारे दरबारियों की बात ध्यान से सुनी और उन्हें बताया कि मैं आप लोगों की में एक परीक्षा लूंगा उसमें जो सफल होगा वही मेरा शाही सलाहकार बन पाएगा। सारे दरबारियों को बादशाह की बात मंजूर थी। बादशाह अकबर ने तुरंत दरबारियों की परीक्षा लेने की ठानी। अकबर अपने सिहासन से उठा, अपने कमर पर लपेटा हुआ कपड़ा खोल कर जमीन पर लेट गया और दरबारियों को कहा,"जो भी इस वस्त्र को मेरे सिर से लेकर पैर तक ढकने में कामयाब हो जाएगा वही मेरा शाही सलाहकार नियुक्त किया जाएगा।" दरबारी एक-एक करके इस परीक्षा को पास करने का प्रयास करने लगे। वह राजा के सिर पर कपड़ा ढकते तो पैर खुले रह जाते और पैरों से कपड़ा ढकते तो थोड़ा सा सिर बच जाता। एक एक करके सारे दरबारियों ने प्रयत्न कर लिया मगर कोई भी उसमें सफल होता नजर नहीं आ रहा था! तभी उसी समय दरबार में बीरबल आया, अकबर ने यही काम बीरबल को भी करने के लिए कहा। बीरबल ने अकबर की बात पूरी ध्यान से सुनी और थोड़ी देर सोचने के बाद वह कपड़ा अपने हाथ में लिया और राजा को बड़ी विनम्रता से कहा, "महाराज क्या आप अपनी टांगें थोड़ी सिकुड़ सकते हैं?" अकबर ने अपने पैर थोड़े मोड लिए और बीरबल बड़ी आसानी से अकबर को सिर से लेकर पांव तक ढकने में कामयाब हो गया। यह देख कर सारे दरबारियों का सिर शर्म से झुक गया और उन्होंने उस दिन के बाद कभी भी शाही सलाहकार बनने की बात अकबर से नहीं की।
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....