virendra kumar dewangan 18 Jul 2023 आलेख अन्य Norcotics 8139 0 Hindi :: हिंदी
नशीले पदार्थों के खिलाफ व्यापक मुहिम के तहत फिलवक्त देश के विभिन्न हिस्सों में 2,381 करोड़ रुपये कीमत की 1.40 लाख किलोग्राम से अधिक ड्रग्स को नष्ट किया गया। वहीं, 1 जून 2022 से 15 जुलाई 2023 तक नार्कोटिक्स कंट्राल ब्यूरो यानी एनसीबी और तमाम राज्यों की एंटी नार्कोटिक्स टास्क फोर्सेस ने सामूहिक रूप से 9,580 करोड़ रुपये कीमत की 8.76 लाख किलोग्राम जब्त की गई ड्रक्स को नष्ट किया गया था। यह मात्रा लक्ष्य से 11 गुना ज्यादा है। इस बाबत आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा है कि ड्रग्स तस्करों की वित्तीय श्रृंखला को तोड़े बगैर ड्रग्स के विरुद्ध लड़ाई पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में ड्रग्स तस्करी के मुख्य क्षेत्रों को ‘गोल्डन ट्राइएंगल’ और ‘गोल्डन क्रिसेंट’ कहा जाता था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार ने प्रस्ताव किया है कि इसे ‘डेथ ट्राइएंगल’ और ‘डेथ क्रिसेंट’ कहा जाना चाहिए। ड्रग्स न केवल देश के युवाओं और इसके सेवनकर्ताओं के स्वास्थ्य को चौपट कर रहा है, अपितु ड्रग्स के कारोबार से पैदा होनेवाला कालाधन आपराधिक व देशविरोधी गतिविधियों और आतंकवाद व अलगाववाद को भी खाद-पानी दे रहा है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक समय ड्रग्स के बढ़ते मामले को देख-सुन कर योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा था कि मायानगरी के ड्रग्सकांड में उन बड़े सितारों को सामने आकर बयान देना चाहिए, जो इसके खिलाफ हैं। अन्यथा यह माना जाएगा कि इसमें उनकी मौन स्वीकृति है। गलत को गलत कहने की हिम्मत दिखानी होगी, तभी देश में सुधार होगा। नशीले पदार्थ का सेवन मानवता के खिलाफ अपराध है। यह कुप्रवृति उस भोले विश्वास का खून है, जो देश के दर्शक फिल्मी-सितारों को अपना आदर्श मानती है। गंजेड़ी लोग युवावर्ग के आदर्श कैसे हो सकते हैं? यह एक ऐसा दलदल है, जो इसमें फंस जाता है, वह फंसता ही चला जाता है। ड्रग्स के खिलाफ इस मुहिम को तब तक चलाया जाना चाहिए, जब तक इसकी जड़ तक न जाया जाए और उन सबको बेनकाब न किया जाए, जो इसके सेवन, प्रमोशन और खरीदी करने के दोषी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नशे से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय यह कि नशेड़ी, भंगेड़ी व गंजेड़ी सुबह-शाम योग व प्राणायाम करे। वाकई यह शर्मनाक है कि बालीवुड के सितारे एक ओर तो करोड़ों की मर्सिडिज गाड़ियों में घूमते हैं, आलिशाल कोठियों में रहते हैं, पैसे के लिए नग्न प्रदर्शन करते हैं और देररात तक ड्रग्स की पाटियों में डूबे रहते हैं, तो दूसरी ओर फिल्मों में उच्चादर्श पेश करने का ढोंग रचते हैं। इससे हिंदुस्तान की संस्कृति व सभ्यता का नाश हो रहा है। हम विदेशी भोगवादी सभ्यता के गुलाम बनते जा रहे हैं। सनातन धर्म को चोट पहुंच रही है। लोग भोगी व विलासी बन रहे हैं। युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित हो रही है और नशे के गव्हर में डूबकर अपना जीवन बर्बाद कर रही है। समझ से परे यह भी कि जब मुंबई में नशीले पदार्थों का इतना बड़ा कारोबार और सेवन चल रहा था, तब मंुबई पुलिस, खुफिया पुलिस और वे तमाम एजेंसियां क्या कर रही थीं, जो नशीले पदार्थों की तश्करी को आए दिन बेनकाब करने का दावा करती रहती है? समय रहते उन्होंने नशालीला का भंडाफोड़ क्यों नहीं किया? अब भी समय है कि बड़े और स्थापित सितारों, कलाकारों, नेताओं, नामचीन हस्तियों, पद्म पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं, उद्योगपतियों, गणमान्य नागरिकों सहित पुलिस-प्रशासन को आगे आना चाहिए और नशाले पदार्थों के खिलाफ मुहिम में शामिल होना चाहिए। --00-- अनुरोध है कि पढ़ने के उपरांत रचना को लाइक, कमेंट व शेयर करना मत भूलिए।