मोती लाल साहु 25 May 2023 कविताएँ समाजिक बंद हैं ये पलकें जानूं से गुफ्तगू हो रही है, दिल जाग रहा है। 6347 0 Hindi :: हिंदी
मेरे कर्मों- नसीब का हाल-ए-मंजर है बंद हैं ये पलकें! जानूं से गुफ्तगू- हो रही है दिल जाग रहा है!! -मोती
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