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प्राइमरी स्कूल के बच्चों की प्रार्थना

राकेश 24 May 2023 कहानियाँ अन्य लोमड़ी का स्कूल, सत्संगति का महत्व, 6604 0 Hindi :: हिंदी

गांव और जंगल के बीच में एक प्राइमरी स्कूल बना हुआ था।

गांव और प्राइमरी स्कूल के पास वाले जंगल में सीधे-साधे शाकाहारी जानवर रहते थे।

इस जंगल के जानवरों के बच्चे एक बुद्धिमान चतुर लोमड़ी के साथ खेलते कूदते अपना पेट भरते थे।

लोमड़ी इन बच्चों से बहुत प्यार करती थी और इनका पूरा ख्याल रखती थी।

यह सारे जंगली जानवरों के बच्चे लोमड़ी को लोमड़ी दीदी कहकर पुकारते थे।

गांव के लोग इस जंगल के जानवरों से बहुत प्यार करते थे, इसलिए वह इन जंगली जानवरों के लिए इनके जंगल के पास खाने पीने की चीजें प्रतिदिन रखते रहते थे। क्योंकि गांव वालों को इस जंगल के जानवरों से कोई परेशानी नहीं होती थी।

सुबह जब प्राइमरी स्कूल में बच्चे प्रार्थना करते थे, तो उनकी प्रार्थना की आवाज इस जंगल तक पहुंचती थी।

प्राइमरी स्कूल की प्रार्थना की आवाज सुनने के बाद लोमड़ी रोज अपने जंगल से बाहर की तरफ भागती थी। और उसके पीछे जंगली जानवरों के बच्चे भी गिरते पड़ते भागते थे।

और प्राइमरी स्कूल के पास पहुंचने के बाद लोमड़ी और सारे जंगली जानवरों के बच्चे स्कूल की दीवार पर उछल उछल कर चढ़ जाते थे और बड़े ध्यान से बच्चों को प्रार्थना करते हुए देखते थे।

और प्राइमरी स्कूल के बच्चों की प्रार्थना खत्म होने के बाद यह सारे जंगली जानवर प्राइमरी स्कूल की दीवार से छलांग लगा लगा कर अपने जंगल की तरफ भाग जाते थे। 

और दोपहर को जब प्राइमरी स्कूल के बच्चों की छुट्टी का तेज तेज घंटा बजता था, तो लोमड़ी दीदी और यह जानवरों के बच्चे अपने जंगल के बाहर आकर खड़े हो जाते थे।

और प्राइमरी स्कूल के बच्चों की भीड़ को गांव की तरफ जाते हुए देखते रहते थे।

कभी-कभी भालू का बच्चा इन स्कूल के बच्चों को अपनी लाल लाल जीभ दिखाकर इन से छेड़खानी करता था। तो भालू के बच्चे की छेड़खानी देखकर स्कूल के बच्चों के हंस-हंसकर पेट में दर्द हो जाता था।

प्राइमरी स्कूल की छुट्टी होने के बाद पूरे स्कूल में सन्नाटा छा जाता था। इसलिए मौका देख कर लोमड़ी दीदी और जंगली जानवरों के बच्चे स्कूल की दीवार से छलांग लगा लगा कर स्कूल के अंदर घुस जाते थे।

और स्कूल के मैदान में पहुंचने के बाद पहले लोमड़ी दीदी भालू बंदर लंगूर गीदड़ के बच्चों से स्कूल के बच्चों जैसे प्रार्थना करवाती थी।

और प्रार्थना पूरी होने के बाद लोमड़ी दीदी इन जंगली जानवरों के बच्चों को एक से दस तक गिनती सिखाती थी। एक से दस तक गिनती इनको याद कराने के बाद इनसे सुनती थी।

बार-बार गिनती याद करने के बाद भी यह जंगली जानवरों के बच्चे लोमड़ी दीदी को उल्टी-सीधी गिनती सुनाते थे। 

बार-बार गिनती सिखाने के बाद भी यह उल्टी-सीधी गिनती लोमड़ी दीदी को सुनाते थे, तो लोमड़ी दीदी गुस्से में स्कूल का घंटा तेज तेज बजा कर इनकी छुट्टी कर देती थी।

और छुट्टी के घंटे की आवाज सुनकर यह सारे जंगली जानवरों के बच्चे स्कूल की दीवार फांद कर अपने जंगल की तरफ भाग जाते थे।

एक दिन एक हट्टी कट्टी सफेद रंग की आवारा बिल्ली कहीं से घूमते फिरते इनके जंगल में आ जाती है।

लोमड़ी दीदी उस आवारा बिल्ली की आवारागर्दी देखकर बंदर लंगूर भालू गीदड़ के बच्चों को उस आवारा बिल्ली के साथ खेलने की बिल्कुल मना कर देती है।

एक दिन सफेद आवारा बिल्ली लोमड़ी की नजर बचाकर बंदर लंगूर गीदड़ भालू के बच्चों को अपने साथ खेलने के लिए बुलाती है, तो यह सारे बच्चे कहते हैं कि "हमें तुम्हारे साथ खेलकर आवारा नहीं बनना है।"

इन बच्चों की यह बात सुनकर बिल्ली अपने को बहुत अपमानित महसूस करती है।

और एक दिन जब यह सारे बच्चे लोमड़ी दीदी के साथ स्कूल की छुट्टी होने के बाद स्कूल की दीवार फांद कर स्कूल के अंदर जाते हैं, तो वह सफेद आवारा बिल्ली स्कूल की दीवार पर बैठकर इनको देखती है।

उस समय लोमड़ी दीदी इन जानवरों के बच्चों को पढ़ा रही थी। लोमड़ी दीदी का कायदा कानून और बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का तरीका देखकर उस दिन से सफेद रंग कि आवारा बिल्ली भी आवारागर्दी छोड़ने के बाद सारे बुरे विचार अपने दिमाग से निकाल देती है। 

और कुछ दिन के बाद वह सफेद रंग की आवारा बिल्ली स्कूल की दीवार पर बैठकर स्कूल की प्रार्थना सुनाने के बाद दस तक गिनती लोमड़ी दीदी को सुनाती है।

सफेद रंग की बिल्ली से प्रार्थना और गिनती सुनने के बाद लोमड़ी उस बिल्ली को गले लगा कर बहुत प्यार करती है।

कहानी का संदेश-इसलिए कहते हैं अच्छी संगत का असर अच्छा बुरी संगत का असर बुरा। और सत्संगति का महत्व सब को समझना चाहिए है।

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