Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 67840 0 Hindi :: हिंदी
कविता- लक्ष्य भेद चाहे बनी हो दीवारें लोहे की, जो हो चाहे अकाट्य अभेद। मेरी प्रतिज्ञा दृढ़ संकल्पित है, एक दिन करूंगा लक्ष्य भेद।। रोक ना पायेगा कोई चुनौती, क्षण-क्षण देता रहूंगा परीक्षा। जीतने की भावना है दिल में, अभी खत्म नहीं हुई इच्छा।। मन कहता है तू कर्मवीर बन, धीरे-धीरे ज्ञान का कर संचय। समय को व्यर्थ ना बर्बाद कर, एक दिन जीत मिलेगी निश्चय।। आखिर डर तुझे किस बात की, या तो भव्य जीत होगी या हार। दोनों सूरत में तुम कुछ सीखोगे, विद्या युद्ध के लिए हो जा तैयार।। काम,क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार, त्याग दो तभी मिलेगा नवज्ञान। गिरकर चढ़ोगे पर्वत शिखर पर, उस दिन दुनिया करेगी सलाम।। कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़,(भारत)।