संदीप कुमार सिंह 02 Jan 2024 कविताएँ समाजिक सेठ और चूहे की कहानी # कविता सामाजिक # दोहा आधारित कविता # ज्ञान - गंगा # दोहा- सागर # दोहा - धुरंध# प्रिय दोहा # मधुर- मधुर दोहा # दोहा- माला 4893 0 Hindi :: हिंदी
सदा विजय ही तब मिले,जब हो पास सुनीति। सभी शत्रु पर राज हो, यही सनातन रीति।। पग पग पर खतरा मिले, रहिए मनुज सचेत। मिले विजय ही तब सदा,मिलता भरपुर सेत।। साथ चलूं भयभीत के,मेरा परम विचार। रखता सदा जुगाड़ सब,होशियार हूं यार।। दूर रहे भ्रम तब सदा,पालें नहीं तनाव। जीवन शैली स्वस्थ हो,गहरा शयन बचाव।। मंजुल अशोक वाटिका, हुई सुधा सम धन्य। माता सीता कदम से,लंका सुरभित रम्य।। लिखिए नूतन वर्ष में, प्रेम भरा संदेश। रहे साल भर ही खुशी,ताकत मिले अशेष।। लिखिए नूतन वर्ष में, मधुर मधुर उदगार। देश और आगे बढ़े, आपस में हो प्यार।। लिखिए नूतन वर्ष में,जीवन का सब सार। मिले भक्ति से शक्ति है,प्रभु कर दे उपकार।। लिखिए नूतन वर्ष में,लोक लाभ का ज्ञान। मिले सदा आशीष तब,सबकी बन कर जान।। लिखिए नूतन वर्ष में, मेल भरा पैगाम। रहे खिला संसार यह, जन जन को हो काम।। लिखिए नूतन वर्ष में, मधुर मधुर उदगार। देश और आगे बढ़े, आपस में हो प्यार।। लिखिए नूतन वर्ष में,जीवन का सब सार। मिले भक्ति से शक्ति है,प्रभु कर दे उपकार।। लिखिए नूतन वर्ष में,लोक लाभ का ज्ञान। मिले सदा आशीष तब,सबकी बन कर जान।। लिखिए नूतन वर्ष में, मेल भरा पैगाम। रहे खिला संसार यह, जन जन को हो काम।। गंगा पवित्र है नदी,करूं सुधा स्नान। पाप सभी को दे मिटा, देती सुन्दर ज्ञान।। करूं वरण मैं ज्ञान से, अर्जन करता ज्ञान। दुनिया में तब नाम है,पाता हूं सम्मान।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....