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बहकी हवाएं, सुलगा है मन आगे क्या होगा माजरा

Samar Singh 13 Jul 2023 गीत प्यार-महोब्बत ये मुहब्बत के जो पल चल रहा है, वहीं खूबसूरत है, आगे तो सितम ही सितम है। 6078 0 Hindi :: हिंदी

बहकी हवाएं, सुलगा है मन, 
आगे क्या होगा माजरा। 
सितम की घड़ी है, या
भरम है रे! बावरा।। 

मुहब्बत को कैसे कह दे हम, 
लगता है हमको खुद से डर। 
वजह जब बन जायेगी इंकार, 
यह सोच के जाते है सिहर।। 
जो चल रहा है पल, 
खोना नहीं है गँवारा। 
बहकी हवाएं, सुलगा है मन, 
आगे क्या होगा माजरा।। 

कोई गुनगुना रहा है, 
बेहोशी में डूबे जा रहे है। 
नशे की इंतहा है, 
सपनों के खाब भी अजूबे आ रहे है। 
शरमाया मौसम, बढ़ी दिल की हलचल, 
आ इस पल में भींग जाए जरा। 
बहकी हवाएं, सुलगा है मन, 
आगे क्या होगा माजरा।। 

रचनाकार - समर सिंह " समीर G "

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