MANISHI PAINKRA 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद जीवन की एक सपना 39450 0 Hindi :: हिंदी
माता - पिता , सखा, बन्धु हमारे, मैंने देखी थी एक सपना। कोई न हो सका अपना। हे! गुरुवर आपके चरणों में, मन लगा रहे सदा अपना । जड़ चेतन आधार हमारे, जल रहा अहंकार में विश्व सारे। आकाश में अनगिनत तारे, हे! गुरुवर हम चलें किसके सहारे। सत्य , अहिंसा ढाल हमारे , शाम के बाद निकलते अनगिनत तारे। सूर्य निकलते ही छुप जाते हैं तारे, गुरुवर जी हम खड़े आपके द्वारे।