संदीप कुमार सिंह 22 Apr 2023 कविताएँ अन्य मेरी यह कविता समाजिक हित में है। पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5000 0 Hindi :: हिंदी
धरा धुरी पर घूमती,होती तब दिन रात। तभी मजा कायम हुए,करके सुन्दर बात।। धरा धुरी पर घूमती, हुई सृष्टि में हर्ष। खुशियाँ सारे लोक में, प्राण करे उत्कर्ष।। धरा धुरी पर घूमती,और लगे रंगीन। रहते सब आनंद में,हो कर दृढ़ स्वाधीन।। धरा धुरी पर घूमती,आसमान में सूर्य। दोनों ही हैं खास अति,बजे खुशी में तूर्य।। धरा धुरी पर घूमती,करती है उपकार। सबको देती शक्ति है,करे हृदय से प्यार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....