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आदमी है जो-चाहता हो उजाला हृदयों में सभी

Rambriksh Bahadurpuri 10 Jun 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri kavita #Kavi rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #Ambedkar Nagar poetry #Aadmi per kavita 6751 0 Hindi :: हिंदी

आदमी है जो…..

आदमी है जो  सबको हॅंसाता रहे
खुद भी हॅंसता रहे मुस्कराता रहे। 

दूर कर दे हर दुखड़े हॅंसी प्यार से
जीत ले सारी मुस्किल सदाचार से 

लाख बाधाएं आए उसे भूल कर 
आगे बढ़ते कदम को बढ़ाता रहे,
आदमी है जो  सबको हॅंसाता रहे
खुद भी हॅंसता रहे मुस्कराता रहे। 

बदले मौसम फिजाएं भले वादियां
छाए घहराए बादल या बिजलियां

हार में जीत में हर परिस्थितियों में
होकर मदमस्त जो खिलखिलाता रहे,
आदमी है जो  सबको हॅंसाता रहे 
खुद भी हॅंसता रहे मुस्कराता रहे। 

मार्ग सत्य पर चले सत्य को ही सुने 
खुद के अधरों पे मधुरस वाणी चुने

चाहता हो उजाला हृदयों में सभी 
ज्ञान का दीपक सबमें जलाता रहे 
आदमी है जो  सबको हॅंसाता रहे
खुद भी हॅंसता रहे मुस्कराता रहे। 

बन निडर राह में होकर आगे सदा 
कंटकों पर चले होके खुद पर फिदा

भाव भर भर जनों में सच्चे प्यार का 
राग मन में सदैव गुनगुनाता रहे
आदमी है जो  सबको हॅंसाता रहे
खुद भी हॅंसता रहे मुस्कराता रहे। 


           रचनाकार 
     रामबृक्ष बहादुरपुरी 
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश 
       9721244478

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