राहुल गर्ग 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग #hasya kavita #love poem #pyari kavita #rahul garg 41914 0 Hindi :: हिंदी
मेरे लिए वो हीरे सी अनमोल होती है कंधे पर सर रखकर सारे राज खोल देती है कोशिशें जब भी मै प्यार-ए-इजहार की करता हूँ सारे ख्वाबों से जगाकर वो भैया बोल देती है वेतन-ए-तारीख से दस दिन वो भरपूर साथ देती है महीने के अंतिम दिनों मे खुद को बिजी रखती है बंद कमरे में जब भी मै उसके करीब जाता हूँ रात बहुत हो गई कहकर वो दरवाजा खोल देती है ग्रीटिंग वेलेंटाइन की वो सबकी स्वीकार करती है अपना कहने का हक वो सबको बाँट देती है फैसला जब भी उससे दूर होने का करता हूँ बीती यादों को जगाकर वो आसूं बहा देती है शापिंग करने के लिए वो मुझको ही मना लेती है सर-ए-बाजार उस दिन वो मेरा हाथ पकड़ती है दिल-ए-खोलकर मै उस पर खर्च करता हूँ क्योंकि चंद घंटो के पल को वो खुशनुमा बना देती है जिंदगी चार दिन की यूं खूबसूरत सी लगती है चांदनी रात में जब वो मेरे साथ होती है फिर से ख्वाब सजाकर मैं सबकुछ भुला देता हूँ शाम-ए-मदहोश होकर जब आई लव यू बोल देती है