janak nandani 27 Aug 2023 कविताएँ बाल-साहित्य अत्यधिक मनोरँंजन का वातवरण देखने को मिल रहा है 16769 0 Hindi :: हिंदी
बैठे -बैठे सोची मै काश आज रविवार होता l छुट्टियोँं के रंगँमहल मेँं खुशियोँं का त्योहार होता ll मन से पुलकित हो जाते तन से भाव-विभोर ll झुम-झुम कर खेल-खेलते और मचाते शोर. ll थोड़ा सा अनुभव करती मैँं काश ये भी एक संसार होता l छुट्टियों के रंगमहल मेँं........ क्रिकेटोँं की एक टीम बनाती होती मै उसका कप्तान l फिर कल से स्कूल है जाना क्या होगा मेरा दस्तान ll सोच -सोच कर कहती मैँं काश ये छुट्टी भी लगातार होता छुट्टियोँं के रंगमहल मेँं खुशियों का.......