संदीप कुमार सिंह 28 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 10326 5 5 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) 01 जिन्दगी को मैंने इस कदर देखा जिन्दगी मुझ में डूब गई। मेरी हर चाहत को पूरा करने के लिए मजबूर हो गई। अब आलम यह है कि सारी दुनिया हमें देखकर हैरत में है _ चाँदनी ही चाँदनी मेरे जीवन में अदाओं से फैल गई। 02 नजर ने नजर को नज़र से ही कुछ नज़राना पेश किया। चार नज़र अब कुछ पल के लिए यूं आपस में प्यार किया। नतीजा कुछ यूं निकला दोनों के पलक ही अब न झपके_ प्यार करने वालों के लिए एक गज़ब हुनर पेश किया। 03 फौलादी वतन के फौलाद बनकर दुश्मनों के दाँत खट्टे करना। खून गिरे तो गिरने देना पर वीर तुम पाँव कभी न पीछे करना। यही तुम पर मेरा आशिर्वाद है यही तुमसे मेरा विश्वास है_ जान जाए तो जाए वीर तुम फिर भी गोलियों की बौछाड़ करना। 04 पायल जब छनकती है आशिक सारे मचलते हैं। जो दिल पे एक सुनहरा लेख ही लिख डालते हैं। कहीं दूर रहने के बाद भी झंकार बनी रहे _ जो कानों में रसाल रस वाला सकून देते हैं। 05 अधिकार खो कर चुप बैठना सबसे बड़ा दुष्कर्म है। न्यायार्थ अपने बंधु को भी दण्ड देना सच धर्म है। जन्म जो लिए मनुज कुल में एक भव्य मानवता दिखा_ ऐसे पुरुष जो थे कल उनका आज भी लहू गर्म है। 06 वतनपरस्ती मेरे रग _रग में लहू बन के तूफानी रंग दौड़ रहा है। गद्दारों का खून पीने के लिए बहुत दिनों से गला मेरा सुख रहा है। जीना हुआ है मुश्किल अब तो और हमसब सैनिक नहीं करेंगे बर्दास्त _ फौलादी वतन के अदम्य फौलादियों जंग के लिए तैयार हो रहा है। 07 हम भारत के लोग विभिन्नताओं में भी एक हैं। नेक हृदयवालों के लिए दिल से हम भी नेक हैं। भयानक मौत हूं दुश्मनों के लिए सभी हाल में _ दुनिया के लिए सदा ज्ञान मय हम सब अभिषेक हैं। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
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I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....