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मांसाहार और जिवो कि हत्या

Pinky Kumar 06 Apr 2023 आलेख धार्मिक 6093 0 Hindi :: हिंदी

मांसाहार का नाम सुनते ही दिमाग मै सबसे पहले चीन का नाम आता है। क्योंकि वहाँ पर हर प्रकार के जानवरों को खाया जाता है। बस इंसानों को छोड़कर फिल हाल इंसान बचे है। पता नहीं जानवरों को मारकर खाने में क्या मजा है। भगवान ने समान रूप से हमें इस धरती पर सभी के जिने का अधिकार दिया है। पर हम इंसान अपने स्वार्थ के लियें किसी मासूम बिन बोले जानवरों को खाते चले जा रहें है। हम इंसानो ने अपने स्वार्थ के लिये इस पुरी धरती को अपना आहार बना लिया है। चाहें वो पेड़ पौधे हो या समुद्र नदिया पहाड़ यहा तक कि हमने जानवरों को भी नहीं छोड़ा कुछ लोग तो मंसाहार को खाना अपने धर्म से जोड़कर रखते है। कि हमारे धर्म यह बताया गया है कि हम अगर मंआस नहीं खायेंगे जानवरों कि संख्या बढ़ जायेगी में पूछना चाहती हूँ कि बढ़ तो हम इंसान भी रहें है। तो खुद को क्यों नही खाते अरे हम जनसंख्या को बढ़ावा दे रहें है तो भी तो बढ़ रहे हैं। तो खुद को क्यों नहीं खाते क्यों इस धरती पर बोझ बन कर जी रहें है। क्योंकि हम इतने स्वार्थी होगयें कि हमें अपना जिवन तो मुल्य वान लगता है। अपने तो दर्द होता है। पर हम किसी बेजुबान जानवार को मार कर उसका जिवन नहीं छीन रहें है। क्या उसके दर्द नहीं होता क्या उसे जिने का हक नहीं है। कौन होते है हम किसी का किसी से जिवन छिनने वाले किसने दिया यह अधिकार हमें और में किसी विशषेस धर्म के लिये नहीं बोल रही हूँ में उन सभी के लिये बोल रही हूँ जो मांस खाते है। हमने प्रकृति कि सभी चिजो को भोग कर इस धरती को अन्दर से खोकला कर दिया है। और प्रकृति अपना रूद्र रूप दिखाती है तो हाय है भगवान यह तुमने क्या कर दिया ऐरे भगवान ने कुछ नहीं किया यह तो हमारी करनी है। जिसे हम सब इंसान भुगत रहें है। वो भी भुगत रहें है। जिन्होंने हमेशा प्रकति को भगवान माना है जिनकी कोई गलती नहीं थी वो भी भुगत रहे हैं। कहते है कि एक मछली पूरे तलाब का गन्दा कर देती है। यही हाल हम इंसानो का हो रहा है। और इसका कारण हम इंसान ही है। हम चाहें दिवाली हो या होली हर त्योहारो में मुर्गा चिकन खाते है। में पुछाना चाहती हूँ कि क्या भगवान राम ने अपने जिवन में किसी जानवर  को खाया है। कौनसे ग्रन्थों में लिखा है। कि किसी दुसरे का जिवन छिन कर हम इंसान अपना जिवन जी रहें है। यह एक सबसे बड़ा पाप है। और यह जो नई - नई बीमारीया फेल रहीं है। इसका कारण भी हम इंसान है। हम इंसानों ने पहाड़ो को नहीं छोड़ा नदीयों और समुद्रों को नहीं छोड़ा हमने पेड़ पौधों को नहीं छोड़ा हमारे जहाँ - जहाँ हाथ गये हम वहाँ - वहाँ तक किसी प्रकृति संसाधनों को नहीं छोड़ा अरे प्रकृति में अच्छी खाने कि चिजे हमें दे रखी है। तो हम जानवरों को क्यों खा रहें है। अपने लेख में कहती हूँ कि इस धरती का सबसे बड़ा दुश्मन हम इंसान ही है। जहाँ तक हमें नहीं जाना चहियें था हम वहाँ तक गयें हमारी पहोच से भी आगे गये हम अरे जैसे हमें अपना जिवन प्यारा है। वेसे ही जानवरों को भी अपना जिवन प्यारा है। पहले हम जानवरों से डरते थे पर आज जानव हम इंसानों से डरते है। इस धरती को खोद - खोद का अन्दर से इतना खोकला कर दिया कि आज हमें भूकंप जेसे विनाश का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने कुछ चुनिंदा जानवरों पर शिकार करने पर रोक लगा रखी है। जैसे चिता, मोर, हिरण, बाघ आदि पर रोक लगा रखी है। अगर सभी जानवरों पर रोक लगा दी जाये तो सभी जानवर हम इंसानो से बच सकते है। जब हमारे शरीर पर जरासी भी चोट लगती है। तो हमें कितना दर्द होता है। तो यह देखो ना हम तो यहाँ पर उनको मारकर पुरेका पुरा जानवर निग जाये रहे हैं। क्या उन्हें जिने का कोई हक नहीं जब हमे किसी चिज का ज्ञान नहीं होता तो हम अज्ञान के कारण हम कुछ गलत कर बढ़ते है। हमें ज्ञान कि कमी के कारण ऐसा कर रहे या हम आज इतना ज्यादा पढ़ लिये कि हमसे आगे हमें कुछ नहीं दिखता है। सिवाये अपने स्वार्थों के ज्ञान ऐसा रखो जो प्रकृति में संतुलन बना सके और संतुलन बना रहें जिभ के सवाद के कारण किसी बेजुबान जानवरों को अपना शिकर मत बनाओं आज के समय में ऐसा कोई देश नहीं है। जो मांस का सेवन नहीं करता हो बड़ी मातरा में मांस का व्यपार होता है। और लोग खाते भी है। हम इंसानों ने गाय को भी नहीं छोड़ा हमने गाय को भी खा डाला हम इंसान ही नियम बनाते है और हम इंसान ही नियम तोड़ते है इसी लिये धर्म ग्रन्थों में भी हमने ही लिखा हैं कि जिवो को मारकर खाना चाहियें खुद को खाने के लिये अपने स्वार्थ के लिये हम किसी और का नाम क्यों इस्तेमाल करते है। जानकारी के हिसाब से 1 अक्टूबर को पूरे विश्त भर में शाकाहारी दिवस मनाय जाता है। पर एक दिन से क्या यहाँ पर तो हर दिन जानवर कटते है। और मरते है। में बस यही कहना चाहती हूँ कि हम इंसानो को अपने स्वार्थ के लिये बिनाबे जुबान जानवरों को नहीं मारना चाहियें हम चीन कि अकसर बात करते है। वो समय दुर नहीं कि हम भी चीन जैसे बन जायेगें समय रहते हुऐ ध्यान नहीं दिया तो इसका खामियाज हम इंसानो को ही भुगता पड़ेगा और भुगत भी रहे है। हम तभी नहीं सुध रहें है। इस धरती पर सभी को बराबर जिने का हक है। हमे कोई अधिकार नहीं कि हम किसी जानवर का जिवन उससे छिने यह लेख आपको पंसद आया होगा अगर किसी को बुरा लगा हो तो क्षमा करे पर यही सचाई है। सोच को और जिवन को एक बार बदल कर देखो तभी पता चलेगा कि हम क्या गलत कर रहें है। और क्या सही समझों इस बात को किसी बेजुबान जानवरों को मत मारो और मत खाओं

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