संदीप कुमार सिंह 18 Jul 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत मेरी यह ग़ज़ल समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 6562 0 Hindi :: हिंदी
(ग़ज़ल) सावन में बलम घर आ जाना फिर कुछ दिन में मिल चले जाना। प्यार ही प्यार ले आइएगा खूब मजा ले कर चले जाना। याद तो नित आती ही होगी मेघ सा बरस कर चले जाना। तुम बिन ये आँखें सुख गई है आँखों को नम कर चले जाना। मेहँदी रंग साथ लाइएगा खुशबू मय होकर चले जाना। बलम वादा को यूं निभाइगा कुछ वादा लेकर चले जाना। गुस्सा वाली बात भूल चलें सजल फूल बनकर चले जाना। शिशु आपके इन्तजार में है इन से भी मिल कर चले जाना। जिन्दगी यादगार हो जाए, मिलन अनमोल कर चले जाना। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....