Raj Ashok 24 Apr 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग शहर 5659 0 Hindi :: हिंदी
कागज पर ,जैसे किसी ने , दिल से, कुँदेरा हो । वाह क्या ?,गजब गजब के सुन्दर शहर है। ये इस घरती पे कुदरत ,क्या, हैरान है ? शायद, अपने इन जादुई , करिश्माई सौगात पर , यों तो है । ये एक विरासत घरती के वासिन्दों की , पर अव , इने सम्भाले कोन ? क्या ? यहा अब, वक्त की कमी है । अरे नहीं ,लोगों की आदते अब बेजार हो गई है। दिलों ,को , दिलों से कच्चे घागे से रिश्तो मे, जैसे बाँघ रखती धी। आज वही क़ुदरत खुद से शर्मशार है। क्यों ,इन्सानो को उसने यहा ,मालिक बनाया। ...... ?.......?