मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल अन्य #maroofalam, #sad sayari#gajal,social sayari, lovely sayari# मारूफ आलम 59512 0 Hindi :: हिंदी
आदतों से सुधरा तो सुधरता गया वो फिर जो उभरा तो उभरता गया वो इतनी सच्ची थी रूह उसकी कि जब जिस्म मे उतरा तो उतरता गया वो दामन से एक धागा ही खींचा था मैंने फिर जो उधरा तो उधरता गया वो इतना भा गया सफर उसे कि मत पूंछ रास्तों से गुजरा तो गुजरता गया वो थी आदत दामन चबाने की उसकी धीरे धीरे दामन को कुतरता गया वो मारूफ़ आलम