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आगे बढ़ना ही जिन्दगी है भाग -१

Ranjana sharma 30 Mar 2023 कहानियाँ दुःखद Google 16107 1 5 Hindi :: हिंदी

दीपा की मां दीपा से बोलती है बेटा आज शाम को अच्छे से तैयार हो जाना। दीपा के पूछने पर क्यों मां आज शाम ऐसी क्या बात है जो मैं तैयार हो जाऊं, अब फिर से वही मेरे कान को मत सुनाना कि तुझे आज देखने के लिए लड़के वाले आ रहे हैं मैं तो ऊब गई हूं तैयार हो-होकर ; क्या तुम बोर नहीं हुई मां मुझे कह -कहकर कि अच्छे से तैयार हो जाना।शाम होने को आती है सब तैयारियों में जुट जाते हैं कुछ ही घंटो बाद दरवाजे पे दस्तक होती है । लड़के वाले आते हैं और दीपा को देखते हैं, दीपा को देखने के बाद वे लोग अपनी राय जाहिर करते हैं कि हमें तो लड़की पसंद आ गई आगे आप लोग की मर्जी।चू कि लड़की की शादी नहीं हो रही थी इसलिए लड़की वाले भी तुरंत हामी भर देते हैं कि हां - हां हमें भी लड़का पसंद है और इस तरह बात शादी तक पहुंच जाती है।कुछ महीने बाद दोनों की शादी हो जाती ।दीपा अपने ससुराल चली जाती। ससुराल में सबकुछ अच्छे से बीत रहा था कि अचानक नवीन के ऑफिस से कुछ लोग आते हैं और घर में खबर देते हैं कि" आपके बेटे का तबीयत ठीक नहीं था, इसलिए अस्पताल में एडमिट किया गया।घर के सभी लोग घबराकर अस्पताल जाते हैं जाने पर पता चलता है कि नवीन अब इस दुनिया में नहीं रहा।"सबके पैरों तले जमीन खिसक जाती है, समझ ही नहीं आता नवीन के मां-बाप को कि आखिर ऐसा हुआ कैसे ?असल में, नवीन को हार्ट अटैक आ जाती है जिस कारण उसकी मृत्यु हो जाती।वह दृश्य देखकर ऐसा लग रहा था मानों पूरे परिवार पर एकाएक बिजली टूट कर गिर गई, पर दीपा को तो जैसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ रहा था वह चुपचाप एक जगह खड़ी सबको देख रही थी, उसके आंख से आसूं का एक बूंद भी नहीं गिर रहा था सब यह देख और भी चिंतित हो जाते । वे लोग नवीन के मृत शरीर को लेकर घर आ जाते, जब नवीन की अंतिम विदाई की जाती है तो दीपा अपने कमरे से दौड़कर बाहर आती और नवीन को अपने गले से लगा कर खूब रोने लगती।नवीन के पड़ोसी के कुछ औरतें उसे सम्हालते हैं। अंततः नवीन को अंतिम विदाई दे दी जाती।अब दीपा खामोश हो जाती है उसके पास ऐसा कोई नहीं जिससे वह खुलकर बात कर सके, हंस सके, अपने हाले-दिल सुना सके। वह एकांत बैठी अपने-आप से कुछ कह रही थी----------- 
                " जिंदगी बदल-सी जाती है जब वक़्त बदलती है
            वक्त की नजाकत को समझना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होती है।"
                     तभी दीपा के मां -बाबूजी आ जाते दीपा अपनी मां के गले लगकर खूब रोती और कहती देखो ना मां मेरे साथ क्या हो गया। कुछ दिन पहले मेरी शादी नहीं हो रही थी, शादी हुई तो पति का साथ प्राप्त नहीं हुआ यह सब मेरे साथ ही क्यों मां ? मां का तो जैसे हृदय ही फटकर बाहर आ जाती, वह ऊपर देखकर बोलती'बेटा हिम्मत मत हार तू तो मेरी बहादुर बच्ची है'और उसे अपने सीने से लगा लेती।उसके मां-बाबूजी दीपा को अपने घर ले आते क्योंकि ससुराल में उसे कोई रखना नहीं चाहता था। उनका कहना था कि दीपा के कारण ही मेरा बेटा आज हम लोगों के साथ नहीं है वह दीपा को ही कसूरवार समझते थें । दीपा अपने पीहर में चुपचाप अब कमरे में बैठे रहती थी उसकी तो जैसे पूरी जिंदगी ही बदल गई।
                                                                                             धन्यवाद।

Comments & Reviews

Divya jha
Divya jha Ap jaise mind thought ki phchan kalam ki takat bya krti hai

11 months ago

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