Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद #Rambriksh Ambedkar Nagar#Rambriksh Kavita#Kavita Ambedkar Nagar#rishteyper kavita#badalte rishtey Kavita#rambriksh kavita 50903 0 Hindi :: हिंदी
कविता-बदलते रिस्तें अब तो रिस्तों पर भरोसा न रहा रिश्तों का रंग अपनों के संग होते हैं गाढ़े सदा के लिए न होते दुरंग न होंगे कभी भी न बदलेंगे ये बनते रिस्ते, ये पवित्र अनमोल सुवाच मजबूत भरोसे पर टिका रिस्ता न रहा, अब तो रिस्तों पर भरोसा न रहा। रिस्तें, बहनों संग पवित्र भाइयों का बल पिता का प्यार मां की ममता आत्मविश्वास पड़ोसियों, गैरों में अपनेपन के सस्ते रिस्ते अब सस्ता न रहा, अब तो रिस्तों पर भरोसा न रहा। रिश्ते, बनते हैं बिगड़ते हैं टूटते हैं जुड़ते हैं पर अब रिश्ते, बदलने लगे हैं अब कोई रिस्तों का प्यासा न रहा, तभी तो रिस्तों पर भरोसा न रहा। रिश्तों में घुल रहे हैं कड़ुआहट चिड़चिड़ाहट रिश्तों में बन रही हैं दुरियां मजबूरियां बेखौफियां अब पता नहीं क्यों! मिठास रिस्ते की अभिलाषा न रहा, तभी तो रिस्तों पर भरोसा न रहा। रिस्तें, बदल गये स्वार्थ में विश्वासघात में लालच परिहास में कलह कुरंग कर्कश व्यवहार में अरे!अब रिस्ते का ढांढस दिलासा न रहा, अब तो रिस्तों पर भरोसा न रहा। रचनाकार- रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर।
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...