Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम #Rambriksh kavita#pradushan per kavita#ambedkar Nagar poetry# 86129 0 Hindi :: हिंदी
कविता-प्रदूषण नभ जल थल पर जगह जगह पर प्रकृति के हर कोने कोने पर्यावरण प्रदूषण तीन सुखमय जीवन है रहा छीन। हे मानव खुद स्वार्थ में अपने सुखार्थ में काट रहा वह डाल तू बैठा जिस पर हुआ अधीन, सुखमय जीवन है रहा छीन। वही रसायन खाद दवाई मिल मिट्टी में पौधो में फल फूलों में सब्जी साग अनाजों में मिल घुल करता है शक्ति हीन, सुखमय जीवन है रहा छीन। गंगा यमुना का निर्मल पावन बहता हिम कण जल अब प्रदूषित करता मानव कारखाने धंधे मशीन, सुखमय जीवन रहा हैं छीन। वायु प्राण वायु हो गया घातक विनाशक सर्वनाशक धुंए धूल भर भर तन में रोकता है सांसें जिन्दगी के हो जाते हम सदा आत्म विलीन, सुखमय जीवन रहा हैं छीन। सोंच समझ ठहर कर संभल कर रखो हर कदम खुद जिम्मेदार हैं हम अपने विनाश का मत डसो संपूर्ण सृष्टि को मानव हो न बनो सर्प और आस्तीन, सुखमय जीवन रहा हैं छीन। रचनाकार -रामवृक्ष,अम्बेडकरनगर।
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...