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आम और तरबूजा

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य #ambedkarnagar poetry#Rambriksh kavita#phalon per kavita rambriksh#aam aur terbooj kavita rambrikshavita 40462 0 Hindi :: हिंदी

कविता-आम और तरबूजा

कहा आम तरबूजे से
सुन लो मेरी बात
फलों का राजा आम मैं
तेरी क्या औकात
गांव शहर घर-घर में मेरी
सबमें है पहचान
बड़े शान से बच्चे बूढ़े
करते खूब बखान
अमृतफल फलश्रेष्ट अंब
आम्र अनेकों नाम
लंगड़ा चौसा दशेहरी
रूपों से संनाम
स्वादों में अनमोल मै
मिलता बरहो मांस
शादी लगन बरात में
रहता हूं खुब खास
कच्चा पक्का हूं उपयोगी
सिरका बने आचार
लू लगने पर मुझसे होता
गर्मी में उपचार। 
सुनते सुनते खरबूजे ने
जोड़ा दोनों हाथ
तुम्ही बड़े हो मैं छोटा हूं
आओ बैठो साथ
एक बात मेरी भी सुन लो
मैं भी फलों में खास
चलते रस्ते में राही का
मै बुझाता प्यास
कुदरत का भी खेल निराला
उगता हूं मैं रेत
प्यासे का तो प्यास बुझाता
भर भी देता पेट
सबका अपना गुण है भाई
सबका अपना काम
नहीं किसी से कोई कम है
सबका है सम्मान। 


रचनाकार- रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर। 

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