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जाड़ा आया

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #Rambriksh Bahadurpuri Kavita #Jaara per kavita #Jaara aaya kavita 87417 0 Hindi :: हिंदी

कविता -जाड़ा आया 

आया जाड़ा का ऋतु प्यारा
बदल गया है मौसम सारा
फसल पाकि गय कटि गय धान
ढोंइ अनाज लइ जाय किसान
पड़य शीत खूब ठरै बयार
कबहूं पाला कबहुं तुषार 
शीत ठरै कापैं पशु पक्षी
धूप लगै तब तन को अच्छी 
जाड़े की हैं बात निराली
धूप लगे अति उत्तम आली
पछुआ पवन चले पुरवाई
करते जैसे हाथा पाई
ठंड बढ़ै तन कापै थर थर
तापै तपता सब अपने घर
बैठ किनारे तपता तापै
बच्चा युवा पुरनिया कापैं
सुरती मल मल बूढ़ पुरनिया
बात-चीत खुब बढ़ बढ़ हाकैं

पड़ै ओस खुब टप टप चूवै 
कोहरा घेरत घर में आवै
ओढ़त हैं सब गरम रजाई
पाकै  पूड़ी   खीर   मलाई
खाओ चाहे जितना भाई
नरम गरम सब कुछ पच जाई
खांसी कै खूब चलै बयार
छीकैं खासैं चढै बुखार
रातौ दिन अब मच्छर लागै
इधर उधर भिन भिन भिन नाचै
गर्मी अब तो कहैक रहिगै
ठंडी में भी मच्छर लागै
हाथ पांव तक कपड़ा पहनों 
सुन लो भाई सुन लो बहनों
धुंइहर का न रहा जमाना
मच्छरदानी अवश्य लगाना। 

रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू पी 

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