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बचपन की सुनहरी यादें

Chanchal chauhan 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य बचपन की सुनहरी यादें 18102 0 Hindi :: हिंदी

ना लौट कर आए वो
बचपन के दिन,
कितने खुश रहते थे हम,
वे बचपन की सहेली,
कैसे बनी रहती थी हमजोली,
बे बचपन के खेल बड़े होते थे
मजे जोर,
वो टॉफी ,आइसक्रीम, चूरन खट्टी,
चॉकलेट होती थी मीठी,
ना था गम,ना दुख का मेला,
संग सहेलियों का रहता था डेरा,
बस खेल, खिलौनो, किताबों में रहते थे व्यस्त,
ना था कोई दुनिया से लेना देना,
घर, जीवन में खुशियां ही खुशियां थी, ना था कोई गम का अंधेरा,
बस थम जाता वही वक्त,
तो कितने खुश रहते हैं हम,
बे बचपन की यादें बड़ी सुनहरी है,
ये वो मेरे जीवन का एक खास हिस्सा है,
मेरे बचपन की अनोखी रानी है।
लेखिका चंचल चौहान
मंझौली बिजनौर उ प्र

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