Chanchal chauhan 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक दहेज प्रथा की भयंकर बीमारी 19718 0 Hindi :: हिंदी
हाये बेचारी अबला नारी, दहेज प्रथा की कैसी ये बीमारी, ना मान मिला ना सम्मान मिला, रोती आ रही है नारी, आंखों में भरकर नीर, सब सहती आ रही है नारी, बेटी, बहू, मां बनकर संसार को चलाती है नारी, हर रिश्ते को जिम्मेदारी से निभाती है नारी, क्यों जलाकर मार देते हो, मर गई है क्या इंसानियत तुम्हारी, दहेज के कारण क्यों करते हो, अत्याचार, अत्याचारी, उसके मन की पीड़ा समझो, अपने मन को मार कर, सब को खुश रखती है नारी, क्यों इन लोगों ने दहेज की आग लगाई, कितने घर जलकर राख हो गए, तप रही है ये नारी, शर्म करो दहेज लेने वालों, बहू से पहले है वो बेटी तुम्हारी, ना करो अत्याचार, ना सताओ उसको, क्या इंसान नहीं है वो नारी, उसके अंदर भी दिल है, नहीं है वो पत्थर की नारी, ये दुनिया वालों बंद करो, दहेज प्रथा की भयंकर बीमारी। लेखिका चंचल चौहान
Mera sapna tha apne bicharo ko logo tak phunchana unko jiwn ki sikh ,prerna dena unmai insaniyat jag...