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ढोंग

SANTOSH KUMAR BARGORIA 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग इस कविता के माध्यम से कवि अपने विचारों को लोगों के समक्ष रख कहते हैं कि मुझ ढोंगी में ढोंग बड़े हैं मैं स्वयं तो मुर्तीपूजा करता हूँ पर लोगों को ऐसा करने से रोकना चाहता हूँ मैं जताना चाहता हूँ की ये सब बकवास है । 43655 0 Hindi :: हिंदी

ढोंग बड़े मुझ ढोंगी में, 
स्वयं कर मैं देवी पूजा ।
और विरोध उनका मैं करता, 
जो करते मूर्तिपूजा ।।

कलश स्थापना मैं घर में करता, 
करता विधिवत् मैं पूजा ।
और नाम बता अपनी पत्नी का, 
कहता फिरता सबसे झूठा ।।

रूपए को मैं मॉ लक्ष्मी कहता, 
कहता तुलसी को माता ।
जलाभिषेक शिवलिंग की करता, 
और विरोध मूर्तिपूजा ।।

जन्मपत्री हम पण्डित जी से बनवाते , 
शादी के शुभ लगन निकाले पण्डित जी ।
गृह प्रवेश में करता भगवान सत्यनरायण की पूजा, 
फिर ये विरोध कैसा आखिर ।।

ढोंग बड़े मुझ ढोंगी में, 
स्वयं करता मैं देवी पूजा ।
और विरोध उनका मैं करता, 
जो करते मूर्तिपूजा ।।

     🙏धन्यवाद 🙏


                                   संतोष कुमार बरगोरिया 
                                  ------------------------------
                                    (साधारण जनमानस) 

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