कविता केशव 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक हम सब अनेक होकर भी एक ही है। भले ही मन अलग अलग दिखते हैं और अलग अलग बोली बोलते हैं लेकिन हम एक ही डाल के फुल है। 71033 0 Hindi :: हिंदी
हम सब फूल है एक उपवन के, एक हमारा माली है। सिंचा जिसने बड़े प्यार से खिलती पात- पात और डालीं है।। अलग-अलग रंग है सबके, धरती पर बनी जैसे रंगोली हैं। सुरत मिलें ना एक दुजे से, सबकी अलग-अलग बोली हैं।। कभी खिलती नई कलियां उपवन में, कभी टूट गिर जाएं। ये जन्म मरण का चक्र चलता, कोई आएं कोई जाएं।। कभी फूलों को मुस्कराते देखा, कभी फूल मुरझाएं। सुख-दुख के हैं खेल सारे, कभी रुलाएं कभी हंसाए।। कविता केशव.......