Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

गांव की गलियां

कविता केशव 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत गांव की गलियां व पांव की पैजनिया 71118 0 Hindi :: हिंदी

वो मेरे गांव की गलियां......
वो खेतों की कच्ची पगडंडियां!
देखकर मदमस्त नाचते मोर...
थिरक उठती थी पांव की पैजनिया।

वो मस्त हवाओं की बेला सुहानी...
कुछ कानों में कह जाती थी दिवानी !
वो छन-छन करके बजती थीं.....
जब भरने जाती थी, कूंए से पानी!!

फागुन के महिने में वो...
मस्ती में रंग जाती थी !
छनक -छनक धून प्यार की बजाकर....
सबको अपने संग नचाती थी।

छुटा गांव और टूट गई सब पगडंडियां!
खत्म हो गए कूंए सब,फीकी पड़ गई...
फागुन की सब रंग रंगिया।
शहरों में बस गए हैं वो पांव अब....
जो ना थिरकते हैं और ना ही बजती है पैजनिया।।

कविता केशव 

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: