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✍ गंगा का जल 🙏

Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक This poem is written on the base to the education from its poem has been seen the importaint of education and most favoured of consentration who is gets from high personality of charector because this is the voice of vedas that education is one of the main element of a great consentrate mind and this is a great achievement to doing nation strength and nationality sovereign because education is a very big and a most of strong weapon for struggle battle ground and every struggler of education is a warrior. This is very big spell of religious book in which said lord Krishana to the Arjuna that " Every thing is afair love and war. " I hope my this poem will be won every one of heart as before. Love you all of my reader Jai Hind Jai Parvati. 14686 0 Hindi :: हिंदी

कल - कल - कल - कल ,
कल - कल - कल - कल! 
कल - कल करती है ज्ञान धरा, 
मन मे विस्मीत जहां शिष्ट विवेक!! 
                    खिलती है प्रतिष्ठा शिक्क्षा कि, 
                    विनर्मता शिक्षक का अभीलेख!
                    प्राकृती के है रंग अधिक, 
                    पर एक रंग सांसकृत धरे!! 
जीस मन मे हो चरितार्थ भरा, 
एकाग्र मनोबल वहीं पले! 
पलती है चेतना मानव मन कि, 
मानवता का है विकाश अहम!! 
                   श्री कृष्ण कि गीता का ये सार, 
                   चरितार्थ पुरुष्ता का ज्ञान अहम!
                   शीक्क्षा है योग शिक्क्षा तपस्या, 
                  ये ही अहम दैव भक्ती है!! 
है जुड़े साधन ज्ञान गारों से, 
ज्ञान ही बाधा से मुक्ती है!
कह गये ज्ञान के धारों मे, 
कर के विधा को अहम नमन!! 
                  विधा मन मानव कर डाला, 
                 विधा को साहित्य से कोटी नमन! 
                 करते ही रहे नीज अभीवादन,
                 विधा की पर्म कसौटी को!! 
साम, दाम, दन्ड, भेद ने, 
नमन किया सांसकृती को! 
राजनीत से अहम श्रेष्ठता, 
ज्ञान रखे वैरागी है!! 
                 जीस कि खातीर है जगती वृन्दावन, 
                 और चेष्टा अनुरागी है!
                 है तृप्त करे ये ज्ञान धरा को, 
                और उधमता पार करे!! 
जब ज्ञान कि ज्योत जले हृदय मे, 
निराशा का ये विकार हरे!! 
                  है विधा को करे नमन , 
                  ज्ञान मान कि शक्ती है! 
                 राजनीत निष्ठा और मल, 
                 सांसकृत गंगा कि पानी है!! 
जीसको पिकर आप जी लोगे, 
और तपों को भी लोगे! 
गर और हो पाना इससे भी अधिक, 
तो ज्ञान अहम मे ही लोगे!! 
                  अहम अलग है विधा से, 
                  ज्ञान विनिष्ट कर जाता है! 
                  धार छुरे का अहम  है बल, 
                  पर ज्यादा वार धार खा जाता है!! 
है नमन विद्या को ज्ञानी का, 
जो जगाती जगती को है पल - पल! 
ज्ञान वेदना करती मन मे कल - कल, 
कल - कल, कल - कल, कल - कल!! 
                   है भरे ज्ञान से अम्बर - वशुधा, 
                   और सफलता से अभीलेख! 
                   कल - कल करती है ज्ञान धरा, 
                   मन मे विस्मीत जहां शिष्ट विवेक!! 



                   
                   
                  
                    

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