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जब मानव करने पर आता है

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #जब मानव करने पर आता है कविता#जब मानव करने पर आता है कविता रामबृक्ष#prernatmak kavita#veer ras ki kavita#utsah bhara kavita#manav per kavita#manav Shakti per kavita#manav ki chah per kavita#ambedkarnagar poetry#rb poetry#kavita rambriksh#rambriksh kavita# 21884 0 Hindi :: हिंदी

जीवन जीने का यदि हो उमंग,
दु:ख भी भर देता जीवन में रंग,
है काम कौन कर सके न नर
आलस्य त्याग चल पड़े डगर,
सांसें भर कर हिम्मत कस कर,
पथ पर चल कर आगे बढ़ कर,
जब मानव करने पर आता है
एक पैर पर्वत चढ़ जाता है,
          
           न देख कहीं आगे पीछे,
           बस लक्ष्य साध सीधे सीधे,
           सोंच बदल सब बदलेगा,
           भर हुंकार जब निकलेंगा
           न हार कभी मन का सीखो,
           हिम्मत से आगे बढ़ना सीखो,
           जब मानव करने पर आता है,
           मंगल पर परचम लहराता है

डग पर गिर कर उठना सीखो,
मन को अपने तुम न भींचों
जो जीते जी मर जाता है,
वह कायर कहलाता है,
पथ छोड़ कभी न जाओ तुम,
कर काम अलग दिखलाओ तुम,
जब मानव करने पर आता है
असम्भव सम्भव हो जाता है
            न भाग्य भरोसे कर्म छोड़,
            दे ताल ठोक तक़दीर मोड़,
            कैसे हस्त रेखा भाग्य भला?
            बिन हाथ का मानव किया कला,
            कर जोड़ मांग न मांग कोई,
            खुद को बना न छुई मुई,
            जब मानव करने पर आता है,
            वह चांद पर पैर जमाता है
 जल थल नभ वह नाप लिया,
 ईश्वर का दूसरा स्थान लिया,
 कर लो दुनिया को मुठ्ठी में,
 विश्वास जगा दो मिट्टी में,
 जंगल में मंगल हो जाता है,
 मानव जब हाथ लगाता है,
 जब मानव करने पर आता है,
 मिट्टी सोना बन जाता है

            रचनाकार-रामबृक्ष, अम्बेडकरनगर

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