कविता केशव 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद एक मां की कहानी कविता के रूप में 72943 0 Hindi :: हिंदी
मै एक कहानी को कविता का रुप देकर लिख रही हूं। आशा करती हूं! आप सबको समझ आयेगी! सुनीता _ जल्दी जल्दी काम निपटा लो! पंडित जी आने वाले है!! पुजा का मुहुर्त बिता जाएं! क्या जनाब अभी तक नहा रहे हैं!!!! पवन _ बस दो मिनट और लगेगी! शुरू करो पुजा की तैयारी!! सोनू को भी तैयार करना है! वो काम है तुम्हारा सबसे भारी!! घंटी बजने की आवाज़ - टर्न..... टर्न...... टर्न पवन - दरवाजा खोलो! शायद पंडित जी आ गए हैं! चाय नाश्ता करा दो! हम तब तक तैयार होकर आ रहे हैं!! सुनीता- आओ पंडित जी, बैठो पंडित जी! सब हो गई पुजा की तैयारी है!! पहले कर लो कुछ चाय नाश्ता! फिर पुजा करने की बारी है!!! पंडित जी- नहीं, नहीं चाय नाश्ता बाद में होगा! मुहुर्त बिता जाएं,पहले पुजा को करना है!! आपकी पुजा खत्म करके, दुसरे घरों में भी पुजा करना है!!! सभी पुजा में बैठ गए! पुजा शुरू हुई! ऊं गंग गणपतैय नम: पंडित जी - घर में तुम्हारे तीन सदस्य! सेवा चौथे सदस्य की जो कर पाएं!! पुजा तुम्हारी तभी सफल होगी! जब घर में चार सदस्य हो जाएं!!! पंडित जी पुजा खत्म करके दान - दक्षिणा लेकर चले गए! पवन - सुनीता अब ये कैसे मुमकिन होगा! तुमने भी नसबंदी करा ली! कोई कुतिया घर में लाया तो! नहीं जायेगी तुमसे संभाली!!! सुनीता- एक कुत्ता घर में ले आओ! सोनू का भी दिल बहल जाएगा!! नहीं होगी कोई मुझको मुश्किल! आसानी से संभल जायेगा!!! पवन अपने दोस्त के यहां गए और दोस्त को सारी बात बताई! पवन - एक रिक्वेस्ट लेकर आया! आ गई, मुसीबत हम पर भारी!! कहा ' पंडित ने चार सदस्य पुरे होंगे! तभी होगी पुजा सफल तुम्हारी!!! दोस्त ने कहा तुम चिंता मत करो सुबह तक मैं तुम्हारे चार सदस्य पुरे कर दुंगा! अब घर जाओ! अगली सुबह ही दोस्त ने दरवाजे पर घंटी बजाई! टर्न... टर्न.... टर्न खोला दरवाजा पवन ने तो! सामने अपनी मां को पाया!! खुशी से भागी आई सुनीता! पुछा! क्या चौथा सदस्य आया!!! देखा, सुनीता ने दरवाजे की तरफ! देख, सांसे मानो रूक गई! देख अपनी सास को आंखे थम गई। बर्फ की सिल्ली के जैसे वो जम गई!! दोस्त- मां को छोड़ा, वृद्धाश्रम! कुत्ते को घर में पालोगे!! चौथा सदस्य फिरे ढुंढता! अपनी मां को घर से निकालोगे!!! स्वागत करो चौथे मेहमान का! तो घर मे खुशहाली आयेगी!! सेवा करोगे मां की तो! पुजा तुम्हारी सफल हो जायेगी!!! पवन- तेरे जैसा सच्चा दोस्त पाकर ! मै तो धन्य हो गया!! कर्ज मां का चुकाना है! ये तुने मुझे समझा दिया!!! कविता केशव.....