Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक This poem is social and inspirational poem. 13874 0 Hindi :: हिंदी
धरा धरी वीरों कि गती से, है दृश्य चेतना चंचल सी! कंचन है जगत के कथित कथा , और पावन जग के कर्म सभी!! चलती है हवा ले कर जगती का, अचल - विचल आभाश सभी! दे रहें प्रकाश अंधेरों को, है ज्ञान गंगा का राज उदित!! मन वंचीत पल पल कर्मों से, जाने कितने अवकाश किया! ले चला अनुज बन चाहत पथ, ये कर्म उन्हे प्रकाश दिया!! मिलते हैं नही अंधेरों मे, चाहत के दिप जलाने वाले! ज्ञान अचल प्रकाश मयी, ये अधम तम्स हरने वाले!! है विश्व धरा कि अचल चेतना, चलते चलते ज़रा धैर्य धरो! कितनी यादों को भुलाओगे, ज़रा थम के पिछे देख तो लो!! जिस हृदय कि आश कुछ करने कि, उस दिल मे र्दद बहोत होता! सफलता कि किमत न जान सके, जो सदा कर्म वंचीत होता!! उचीत युक्त युक्ती है पर्म, कृष्ण मार्ग का वंदन है! जो रहा धरा के र्दद से विचलित, उस अर्जुन का अभिनंदन है!! अभिनंदन करती पावन वसुधा, जीन्दा दील उसी को कहते हैं! हर हार हार कर कर्मों से, कर्मवीर उसे कहतें हैं!! है कर्म तपी बल ताप रखे, प्रताप जगत का उजियारा! अज्ञान महा अंधकार धरे, ज्ञान कर्म का उजियाला!! चल रही प्रकाश हर कश्ती मे, कहता है मनुज को धैर्य धरो! मिलते न मंजीले ताकत से, ताकत को ज्ञान से युक्त करों!! कर्मो के पथ का राहत बल, संतोष श्रेष्ठता का वाहक है! पर हद से ज्यादा हर चीज धरा पर, स्वयं के लिए हानिकारक है!! करता, कर्म को कारक देता, उद्धेश्य, विद्धेय का सम्प्रदान! सम्बोधन करता करण अपादान को, शब्दों का सारा अलंकार!! वाक्य रचीत कर्मों कि कथा का, संधी स्वर्ण व्यंजन से! है विचार वर्णीत वशुधा पर, आभाश समास अनुबंधन से!! है हर बंधन को बांध रखे, जगती मिट्टी का कर्म प्रबल! है अचल श्रेष्ठता भारत की, अभीवादन का वादन पल-पल!! पल-पल के स्वपन इस वशुधा पर, बस एक कर्म करती है अमर! अमरत्व का ऊंचा नाम अमित, जल रहे ज्ञान से जग मग कर!! कवि कलम करता है ज्योत्सना, आनंद का आभास सभी! है धरा धरी वीरों की गती से, है दृश्य चेतना चंचल सी!! है अभिलाषा हर दिल मे भारत, प्रेम कि ज्योत जलाने की! कंचन है जगत के कथीत कथा, और पावन जग के कर्म सभी!! Poet :- Amit Kumar Prasad. कवी/लेखक :- अमित कुमार प्रशाद
My Self Amit Kumar Prasad S/O - Kishor Prasad D/O/B - 10-01-1996 Education - Madhyamik, H. S, B. ...