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कर्म प्रबल करना होगा

Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम This poem is on base of Work Or Hard Work. And it is based on entire from Hard Work of Inspiration. 17852 0 Hindi :: हिंदी

चाहे हो पहरे महा प्रबल, 
जीसे उड़ना है उड़ना होगा! 
चाहे अंधियारों कि महा समर, 
उसे अपने अनुकूल करना होगा!! 
                      करना होगा संघर्ष अधिक, 
                      अंतरमन के उद्धिपन से! 
                      है सार्थ जगत का कर्म प्रबल, 
                      वसुधा के जड़ और चेतन मे!! 
उठती है आश चाहत बनकर, 
उस हृदय को शोनीत करना होगा! 
अम्बर की दिव्यता छूने तक, 
उसे प्रबल धैर्य धरना होगा!! 
                     धर धारन धरती धाप धराधी, 
                     जलधि, उधी, उधिपन की! 
                    सिखलाती जगती को महा धैर्य, 
                    विचलन, व्याधी, उत्तेजन की!! 
अविचलताओं की भूमी मे, 
कर्म ना अल्पविराम करे! 
सरण गहे कर्मठता के, 
उस कर्म को पूर्णविराम मीले!! 
                   बन विमान उड़ चली चाह, 
                   अम्बर की दिव्यता छूने को! 
                   अंतर मे लेकर धैर्य अमर, 
                   संघर्ष को अमृत देने को!! 
जो राह मानवता कर्म धरा, 
उसे पथ - पथ पे पार्थ बनना होगा! 
मानवता के शुन्यकारों को,
कर्मो से वर्णित करना होगा!! 
                   है अचल मेखला वन भूमी, 
                   और कर्म प्रबल उधारक है! 
                   अंतरतम की है चाह लघू, 
                   विश्वास ही इसका वाहक है!! 
चल चले चलो चलते ही चलो, 
चलन मे चाल की कथीत कथा! 
कर्म किये बिन ना मीले राह, 
संघर्ष मिटाती है व्यथा!! 
                   गर वसुधा छल से छलीत हुई, 
                   तो माधव का कर्म करना होगा! 
                   चाहे हो पहरे महा प्रबल , 
                   जीसे उड़ना है उड़ना होगा!! 
कह रहे भारत का हास यही,
इस वसुधा का इतीहास यही! 
श्रद्धा से वंदीत कर्मो की धरा, 
के बीते वो परिहास सभी!! 
                   चाहे हो जटील नियती की चाह, 
                   कर्मो पे उसे ढलना होगा! 
                   चाहे अंधियारों की महा समर, 
                   उसे अपने अनुकूल करना  होगा!! 
       कवी   :- अमित कुमार प्रशाद
‌     Writer  :-  Amit Kumar Prasad

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