Mk Rana 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 15033 0 Hindi :: हिंदी
कर्जदार तो हम पहले से ही था आज आपका भी कर्जदार बन गया हूं मानो आपका कृपा बरसी है हम किसानों पर इसीलिए चारों तरफ ऐसा सुंदर हरियाली है कर्जदार होकर कल दुःखी था आज कर्जदार होते हुवे भी ख़ुशी का भंडार मिल गया इस मिट्टी से जुड़ा था जुड़ा रहूंगा मेहनत रंग लाई है इसलिए चारों तरफ ऐसा सुंदर हरियाली है आज बरसों बाद मिट्टी से ऐसा सुगंध आया हम किसानों के आंखे ओझल कर डाला ये ख़ुशी है आज मिट्टी से बना कन कन ने गुण आपक गाई है इसलिए चारों तरफ ऐसा सुंदर हरियाली है प्रभु शायद रूठ गए थे हम सब से आप कल थक जाता था उस मिट्टी में हर काम आसान हो गया आज उसी मिट्टी में ऐसी नमि आई है इसीलिए चारों तरफ ऐसा सुंदर हरियाली है बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे थे जीव यह गलती भी मानव की थी जो फालतू पानी बाहाई थी अब माफ कर फिर से प्रभु तुमने मीठी बूंद बरसाई है इसीलिए चारों तरफ ऐसा सुंदर हरियाली है