Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Ambedkarnagar poetry#Rambriksh kavita#kuchh jeete kuchh hare kavita#samajik kavita# 11847 0 Hindi :: हिंदी
हम जीत में तेरे साथ थे,हार मे तेरे साथ है तन्हां ठगा आज खड़ा हूं,हाथ पर रख कर हाथ है क्या समझूं मैं किसको अपना,होता न विश्वास है अब क्या होगा सोंच रहा हूं, लगता कोई न पास है लगता था मंजिल करीब है बदलेगा इतिहास है सोंचा आगे निकल चुके हैं,पर सपना सा एहसास है बनता है तेरह नौ बाइस, जोड़ा फिर उसमें सत्ताइस शेष बचा सा हुआ आज जब, निकाल लिया उन्चास है हमने सोंचा हमीं हैं हारे,हारा आज समाज है एक सोंचता दूसरा हारा, दूसरा खुश है पहला हारा अरे नादानों कब समझोगे, हारे आज सरेआम है हार गया वह एक एक बच्चा, जो खोया अपना सांस है हार हुई है उस लड़की की ,जो बन गई जिंदा लाश है हारे कहां है जातिवादियों , हारे हुए बेरोजगार है हार गए मजदूर किसानें , हुआ जिनका स्वर्गवास है हम जीत में तेरे साथ थे,हार मे तेरे साथ है।
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...