Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

कुछ जीते कुछ हारे

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Ambedkarnagar poetry#Rambriksh kavita#kuchh jeete kuchh hare kavita#samajik kavita# 11847 0 Hindi :: हिंदी

हम जीत में तेरे साथ थे,हार मे  तेरे साथ है
तन्हां ठगा आज खड़ा हूं,हाथ पर रख कर हाथ है
क्या समझूं मैं किसको अपना,होता न विश्वास है
अब क्या होगा सोंच रहा हूं, लगता कोई न पास है
लगता था मंजिल करीब है बदलेगा इतिहास है
सोंचा आगे निकल चुके हैं,पर सपना सा एहसास है
बनता है तेरह नौ बाइस, जोड़ा फिर उसमें सत्ताइस
शेष बचा सा हुआ आज जब, निकाल लिया उन्चास है
हमने सोंचा हमीं हैं हारे,हारा आज समाज है
एक सोंचता दूसरा हारा, दूसरा खुश है पहला हारा
अरे नादानों कब समझोगे, हारे आज सरेआम है
हार गया वह एक एक बच्चा, जो खोया अपना सांस है
हार हुई है उस लड़की की ,जो बन गई जिंदा लाश है
हारे कहां है जातिवादियों , हारे हुए बेरोजगार है
हार गए मजदूर किसानें , हुआ जिनका स्वर्गवास है
हम जीत में तेरे साथ थे,हार मे  तेरे साथ है। 


           

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: