Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मैं आंधी हूँ 65173 0 Hindi :: हिंदी
मेरा रफ़्तार देख ये मत सझना की मैं हार गया मैं आंधी हूँ आसानी से थमता नहीं दरखतों के दरख्त उखाड़ देता हूँ मेरे राश्ते में कभी मत आना मैं चटानो को भी उजाड़ देता हूँ मैं सांत हूँ बस सांत ही रहने दो चुप चाप से मुझे निकल जाने दो अगर छेड़ोगे तो बापस आऊंगा मैं तूफान हूँ प्रलये मचा दूंगा नस्ले मिटा दूंगा नियति के नियत समझ प्रकीर्ति के प्रकोप से डर मैं ही विश्व रचैता विष जहर बृक्ष धरती आश्मान पेड़ पौधे जिव जंतु पशु पंक्षी इंसान दैत देव दानव और मैं ही काल रूपी महाकाल हूँ मैं दैविक दया के सागर हूँ