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मन की बात

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #ambedkarnagar Poetry#Rambriksh kavita#Man ki baat kavita#samajik kavita#shamshaanghat per kavita 11970 0 Hindi :: हिंदी

कविता-मन की बात

जहां चाहिए ढेरों लालसा 
ढेरों याचना ढेरों उल्लास 
पर बैठे लोग दे रहे थे 
एक दूसरे को ढाढस दिलासा मात।    
सब दु:खी थे 
ओंठो पर बिना लिए मुस्कान 
बैठकर एक साथ 
कर रहे थे मन की बात। 
खूब कमाओ बना लो 
जिंदगी भर मेरे आपके लिए 
अंत में लौट कर आना है 
सभी को इसी घाट। 
क्या लगता है ?
शैय्या पर पड़े असहाय
जी पाओगे रह शांत ?
यह सोच कर !
खूब बनाया बड़े मकान 
धनो का भंडार ,
किंतु आयेंगे सपनों में 
व्याकुलता दु:ख निराशा उस रात। 
खूब चला गीता रामायण 
भौतिक अध्यात्म 
जीवन के हालात की बात। 
शाम का सूरज डूबता दिखने लगा था 
चल पड़े लोग वापस अपने घर की ओर 
रात बीती सूरज निकला 
नई सुबह के साथ
लोग भूल चुके थे 
शमशान की वह जज्बात। 
मैं ठगा सा बोझिल उदास 
देखता रहा बदलाव 
फिर वही तू- तू, मैं- मैं 
तेरा- मेरा, अपना- पराया 
जीवन का अज्ञान उछाह
धोखेबाजी घात-अघात। 
पता नहीं क्यों? 
बन जाते अंजान 
यह जान कर, क्या?
मिल पायेगा ज़मीन
हमें दो गज माप का
या बनेंगा निवाला किसी
पशु पक्षी के हाथ का। 
यह विशालकाय चंचल गात। 

रचनाकार- रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर। 

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