कविता केशव 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक बुराई और परनिंदा से बचों 70402 0 Hindi :: हिंदी
जो करे बुराई दुसरे की, मत बैठो उसके पास, जब तक आखों से ना देखो, मत करो विश्वास!! देख बुराई दुसरो की, ना मन में सोच बढ़ाए जाहिर करो ना दुसरो से, अकेले में ही समझाएं!! बुराई करने वाले की बातों में होती नहीं सच्चाई! बात काट कर दुसरे की ,अपनी बात की करे बडाई!! अच्छा बुरा सब दिख जावे, व्यवहार अपना एक दर्पण है, जो अंदर बाहर एक सा होवे, वही तो सच्चा समर्पण है!! कहें निकम्मा बुरा किसी को, वो बुरा बन जायेगा, कहे देवता हर पल जिसको, वो हीरा बन जायेगा। बुरे काम और बुराई से, हमें बचना चाहिए! झूठी शान और मौत के दर्द से डरना चाहिए!! गाली खोटा सिक्का है कहीं भी चल ना पाएगा ! मत देना गाली दूसरे को , वो वापस तुझे लौटाएगा!! बदी के मौके सौ बार मिलेंगे, नेकी का एक बार, छुट ना जाए मौका तुमसे, हरदम रहना तुम तैयार!! छोटा- बड़ा पैसों से ना मापों, ये तो कद की लम्बाई है! मौत के दरबार खुले है सबके, यही असली सच्चाई है!! जीवन के इस नाटक में, जो अच्छा किरदार निभाएगा! सब कुछ लुटा दे जो दुसरो पर, वही असली हिरो कहलायेगा!!