Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य शिक्षक 34972 0 Hindi :: हिंदी
कविता का शीर्षक- "शिक्षक ज्ञान का महाआगार" ज्ञान-विज्ञान का महासागर है, गुरु नूतन पंथ का अन्वेषी। तिमिर में प्रभा पुंज दिखाकर, शिक्षक बन जाता है ज्योति।। कोरे कागज में शब्द उकेरते, बनाता है अधिक मूल्यवान। पढ़ते सभी अपने जीवन को, मस्तिष्क में जगाता संज्ञान।। कच्ची मिट्टी को पकाकर गुरु, स्वयं तपता है अग्नि भट्टी में। जल कर राख बन जाता, सबको परिपक्व बनाता शक्ति से।। बिछा रहता है सड़क जैसे, सब राहगीर आते-जाते रहते हैं। हृदय में बन गए अनेकों गड्ढे, राह ठीक नहीं सब कहते हैं।। पहुंचाता है सबको मंजिल में, अध्येताओं को करके प्रेरित। चुनौतियों का सामना करना, यही है जगत की अटल रीत।। लक्ष्य का दिखा कर सपना, परिपूर्ण करने करता है मेहनत। डगर भटकने नहीं देता है, सरल पथ प्रदर्शित करता उन्नत।। बनकर मशाल जल रहा गुरु, भटके को एक दिशा दिखाता। सिखा रहा है नैतिक गुणों को, अनैतिक दलदल से बचाता।। जीवन का कई खेल खेलाकर, हार-जीत को समझाता है। जब घिर जाते हम अवसाद में, साहस देकर हमें बचाता है।। आजीवन अपने अर्पित करके, सर्व कौशलों में दक्ष बनाता। कर हमको अति उत्साहित, जीवन संघर्ष मैदान में लड़ाता।। युगों-युगों से बनकर विश्वगुरु, चमक रहा है नव सूर्य समान। शीश झुका कर आदर करो, छूकर कंज पद को दो सम्मान।। नाम- अशोक कुमार यादव 'शिक्षादूत' पता- जिला मुंगेली राज्य छत्तीसगढ़ पद- सहायक शिक्षक (प्रभारी प्रधान पाठक) कार्यरत विद्यालय- शासकीय प्राथमिक शाला दाबो,संकुल दाबो, विकासखंड एवं जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ शैक्षणिक उपलब्धियां- मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण पुरस्कार 2020 "शिक्षादूत पुरस्कार" से सम्मानित। प्रकाशित पुस्तकें-1) "युगानुयुग" (स्वरचित काव्य संग्रह) 2) "मेरी कविता मेरी कहानी" (साझा पद्य एवं गद्य संग्रह) 3) "मन की लहर" (साझा काव्य संग्रह)