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त्याग की मूर्त भारत की नारी

कविता केशव 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक भारत की नारी और उसका त्याग 73840 0 Hindi :: हिंदी

हर दुःख को सहने वाली,
मुंह से कुछ ना कहने वाली
त्याग और सेवा में जो दुनिया से न्यारी हैं ;
धरती  सा धीरज रखने वाली
वह भारत की नारी है।

गंगा जैसी निर्मल है,जमुना जैसी काया
ऐसी देवी अपने सिर पर....
ले-ले दोष पराया ;
ये कुर्बानी करने वाली
और मरजीवा बनने वाली
जिसके बलिदानों के आगे .....
ये दुनिया भी हारी हैं।
धरती सा धीरज रखने वाली
वह भारत की नारी हैं।।

प्रेम उसका इतना पावन है,
जैसे झिलमिल बरसता सावन है 
जिसने प्रेम को हर पल जिया था
बिना सोचे ही जहर का प्याला पिया था ;
जहर को अमृत बनाने वाली,
वो गिरधर की प्यारी हैं।
धरती सा धीरज धरने वाली
वो भारत की नारी है।      
कविता केशव…........

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