Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद #ambedkarnagar poetry#Rambriksh kavita#kavita by Rambriksh#विद्यार्थी के दुख पर कविता#विद्यार्थी ब्यथा कविता#विद्यार्थी ब्यथा पर कविता रामबृक्ष# 21327 0 Hindi :: हिंदी
खेल खेल में शिक्षा हो पर शिक्षा को खेल समझ बैठे, अब राजनीति के मंचों पर तित्तिल सा खूब उलझ बैठे | न इन्हें पड़ा तेरे रोजी का न जीवन का न रोटी का, न दर्द दवाई खर्चे का, शादी बेटे या बेटी का | कोई रिक्शा खींचे सड़कों पर कोई सब्जी बेचे सड़कों पर मां बाप के सपने कौन सुनें वो कहर ढहाते लड़कों पर न नोकरी न रोजगार कहीं पढ़ रहे लगाये आस यही आज नहीं तो कल ही सही लिकलेगा कोई राह कहीं जब निकला कोई चांद ईद का कर रहे तैयारी त्याग नींद का हो गयी परीक्षा तोपरिणाम नही परिणाम सही तो कहीं नाम नहीं अब तो पेपर का यह हाल हुआ सुन सुन कर जी बेहाल हुआ आंखों से आंसू गिरते देखा खुद से नफ़रत करते देखा नफरत सियासी वालों ने वोटों के गहरी चालों में, कौरव सा पासा खेल गये आशा पर पानी फेर गये कोई पहले छीन लिया पेंशन कोई छीन रहा रोजी रोटी जब दे न सको तो छीनो न क्यों बुझा रहे बुझते ज्योति, मां आस लगाए है बैठी न बुझने दो घर की ज्योति हो गये सयाने बेटा बेटी क्यों बुझा रहे बुझते ज्योति, रचनाकार-रामबृक्ष अम्बेडकरनगर _________________________
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...