कविता केशव 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य पूनम की रात बचपन की बात 76092 0 Hindi :: हिंदी
गर्मी के दिनों की वह पूनम की रात ! याद दिलाती बचपन की हर वो बात !! आसमान में चमकते तारो की बारात ! टिमटिमाते जुगनू भी होते थे साथ !! सभी बच्चों की छत पर बिछती थी ! लाइनों में वो खाट !! एक दुजे की खाट पर सोने के लिए ! मचते थे घुसे और लात !! सुनते थे दादी मां से,रोज- रोज ! राजाओं की कहानी और पुरानी बात !! देखते थे साथ बैठकर टीवी ! और उड़ाते थे एक दुजे का मजाक !! शुक्रवार और शनिवार को ! टीवी पर वो फिल्मों का आना !! देखने के लिए चढ छत पर ! वो मट्रों स्टेशन चैनल का लगाना !! साफ आ गया क्या,या मच्छर है ! ये उपर से एक का चिल्लाना !! थोड़ा और घुमा दे एरीयल को ! अभी मच्छर है, ये नीचे से दुजे का चिल्लाना !! फ्यूज उड़ जाता तो! फ्युज लगाने खातिर वो खंभे पर चढ जाना!! नहीं आती लाइट तो! फिल्म देखने खातिर ट्रैक्टर की बटरी उतार लाना!! याद आता है, बहुत वो गुजरा जमाना! क्यों बीत गया वो बचपन का मौसम सुहाना!!