Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

☝ सर्व स्वत्तंत्र भावों भवान्.... ✍️

Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम यह काव्य एक दृष्टी से कहें त्तो हास्य श्रृंखला रचीत्त सृज़ना है, अन्यथा अत्तिरिक्त दृष्टी से वत्तन कि निष्ठा को दर्शित्त और प्रद्रशीत्त किया गया हैं! इसमें अलग - अलग भाषाओं का उपयोग भी है, जो भारत्त कि मुल सम्पदा हैं, और साथ हि मानवत्ता के वैश्विक्ता को राष्ट्रवाद के संग आमंत्रीत्त किया गया है! पहल से ही हल का समावेश होत्ता है, पर यदि हम कार्य को बैठे सफ़ल होने कि कामना रखें त्तो वो कर्म के विरूद्ध और द्वेश होत्ता है!! ज्ञान के मार्ग को काव्य में बांध कल्याण का समावेश किया गया है, मेरे प्रिय पाठकगण, किन्त्तु हर चीज़ एक दुसरे का पुरक है, और मेरी भी अभीरुची पाठन - पठन में अत्याधिक रहत्ती है, ईसलिए ज्ञान समावेश कि श्रृखंला है और ज्ञानी बनने के लिए आवेश भुला द्वेशरहित्त होना पड़त्ता है!! क्योंकि ज्ञान अनंन्त सीमा कि वाहनी है और शिक्क्षा ज्ञान का प्रम लक्क्षय!! " आप कि दृष्टी हमारी सृष्टी!; रचना है निकलत्ता सार - सार, मेरा काव्य सफ़ल हो जाऐगा ज़ो एक में जागा मानवत्ता का विचार!! " ऐसे हि प्यार देत्ते रहिए मेरे काव्य को, मेहनत्त लगत्ती है बनाने मे!! ज़य हिन्द - वन्दे मात्रम्! 🙏आईए चलिए... 👇 78968 0 Hindi :: हिंदी

               1
हैं लाख चाहत्तें ले कर के, 
स्वाधिनत्ता पथ हो के आज़ाद चलें! 
अब चलो चले कर मन स्वत्तंत्र, 
बनने स्वत्तंत्र निष्ठा: चलें!! 
                 2
कर ग्मन पथिक मानवत्ता का, 
इक रत्न बनाया दिप्त्तवान! 
प्रदिप्त्त धरा कि मानवत्ता, 
पर काव्य अमन कि चाह धरें!! 
                 3
पथ दया याद मे रखत्ता है, 
और भला करो त्तो लाभ मिले! (ठिक है) 
धरत्ती खिलत्ती है आप से ही, 
कह आप सब कुछ पा ज़ाओगे!! ( ठिक है) 
                  4
हर रत्न ज्त्न से ज़ोड़ - ज़ोड़, 
राहें चाहत्त पथ दौड़ - दौड़! ( ठिक है, ठिक है) 
गढ़त्ता है त्ताज़ इस वशुधा का, 
चाहत्त का शाम चाहत्त का भोर!! 
                  5
हर ओर लगी होरों कि लड़ीं, 
लड़ियों में चाह का दर्पण है! 
त्तन मन निष्ठा अर्पण है हिन्द को, 
श्रृगंर चरण मे सम्र्पण है!! 
                   6
है काव्य कह रहा पोर - पोर, 
स्वाधिन चाहत्त का ज़ोर - शोर! ( ठिक है, ठिक है)
हर ओर समा बांधें हैं अमन, 
चल रहा काव्य युग राष्ट्र दौर!! 
            " का भईया ठिक है न " 
                    7
ऐं राष्ट्रां नाल दिखत्तां हैं मुहब्बत्तां, 
ऐं दे वर्गें कुछ और नहीं! 
ज़ीस वक्त चाह, संघर्ष न हो, 
ऐसा कोई वत्तन का दौर नहीं!! 
                    8
हर दौर चाह को दिप्त्त किया, 
और विश्व रत्न प्रदिप्त्त किया! 
मानवत्ता कल्याण कर पथ को ग्मन, 
हिन्द त्ताज़ स्वेत्त पथ विद्या का!!
                     9 
( आईये चलिए), ज़ब भ्रष्टाचार कि  नीव हिली,
त्तो खिला वत्तन ऊज्जियालों में! 
अब विद्या, ज्ञान और मान प्रत्तिष्ठा,   ☝
ऐं हिन्दां नु धरां पर सारू छे!! 
                "  झक्कास  "
                     10
( चलिए, Let's it) सब परिष्कार भुत्तल - नभ त्तल, 
                           देने विकाश अब आ जा मा! 
        👇              त्तेरे वन्दे कर रहे ज्ञान वरण, 
                           सब कुछ और राष्ट्र छे माज़ा मा!! 
                     11
ई विद्या से विकाश कि अचल कसौटी, 
और ज्ञान राष्ट्र पथ हमनी का! 
सब राष्ट्र वाद और विवाद वज़ुद, 
पर वत्तन है धड़क्कन धमनी का!! 
                     12
 ले चाहत्त कि वरासत्त परिपाटी, 
 देने ज़र्रों को वज़ुद चले! 
(आईऐ),हैं लाख चाहत्तें ले कर के, 
 स्वाधिनत्ता पथ हो के आज़ाद चलें!! 
                     13
चल अचल धरा कि द्विव्य धार, 
करने हम पुर्ण ईच्छा: चले! 
अब चलो चले कर मन स्वत्तंत्र, 
बनने स्वत्तंत्र निष्ठा: चलें!! 
   " ईच्छा नी सखां ज़बरद्दस्त्त हिट छे!!"  
                      👍
Poet   :  Amit Kumar Prasad
कवी    :  अमित्त कुमार प्रशाद.....✍️

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: