संदीप कुमार सिंह 18 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4947 0 Hindi :: हिंदी
बीते दिन लौटे नहीं,यही बात है खास। करें समय से काम सब,छोड़ें कभी न आस।। बीते दिन लौटे नहीं, पूर्ण सत्य यह बात। सुन्दर निर्मल कर्म हों,प्रभु को भज दिन रात।। बीते दिन लौटे नहीं, करें पूर्ण सब चाह। पता नहीं कब क्या घटे,चलते रहिए राह।। बीते दिन लौटे नहीं,रहें खुशी में आज। तन मन में तब जोश हों,करें सफल सब काज।। बीते दिन लौटे नहीं, आते रहते याद। यादों में हो मग्न मन, जीवन हो आबाद।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....