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आओ सुनाएं तुमको रामकथा बड़ा प्यारा...!

MAHESH 30 Mar 2023 गीत धार्मिक श्रीराम कथा प्रसंग 7923 0 Hindi :: हिंदी

स्वरचित रचना---आओ सुनाएं.........!
संदर्भ--- श्री रामकथा।

आओ सुनाएं तुमको
रामकथा बड़ा प्यारा। !!टेक०!!
भटके हुए लोगों सुन लो,
होगा कल्याण तुम्हारा!!
आओ सुनाएं तुमको.................!

सत्यम शिवम व सुंदरम 
जैसा है वो प्रभु प्यारा।
वैसा ही उसका स्वरूप है 
ए विराट जग सारा।।
फर्क है केवल नजरों का बस,
और न कोई नजारा।।
आओ सुनाएं तुमको.....................।।

कभी खरीदने गए घड़ा, 
क्या तुम हाट- बाजारा।
ठोक-ठाक कर देखा तो 
होगा ही घड़ा वो प्यारा।
नकदर अगर घड़ा तो समझो 
नकदर है वो कुम्हारा।।
आओ सुनाएं तुमको.......................।।

झूठै लेना- देना का 
देता है जो नारा।
लूटै मजा ऊ देखा 
बैठा पंच-सितारा।।
तोहरी कमाई से बना बैठा 
ऊ धर्म कै ठेकेदारा।।
आओ सुनाएं तुमको............।।

दुनिया की रचना ही की है 
प्रभु ने कर्म के द्वारा।
सत्य, अहिंसा, प्रेम, धर्म, व 
न्याय यहां आधारा।।
कर्म के ही आधार 
यहां पर फल का है बंटवारा।।
आओ सुनाएं तुमको................।। 

तो आज बहाता हूं 
मैं फिर से रामकथा रसधारा।
यहां मिलेगा आप सभी को
जग-जीवन का सारा।।
तो सुनें ध्यान से आप सभी 
लो विनम्र प्रणाम हमारा।।
आओ सुनाएं तुमको......................।‌।

पांव दबाते हुए लक्ष्मण 
पूछें प्रश्न इक प्यारा।
भइया मुझको पता चला 
हैं आप विष्णु अवतारा।।
पर समझ नहीं पा रहा 
मेरा मन राज-रहस्य तुम्हारा।।
आओ सुनाए तुमको.......................।।

जब हैं आप नारायण
सब जग के सृजनहारा ?
फिर क्यों फिरते रहे भटकते 
वन-वन मारा-मारा ?
काहे ऋषियों की पगधूलि?
वानर का लिया सहारा ?
आओ सुनाएं तुमको.......................।।

प्रभु मुस्काए बोले
मृदुल वचन बड़ा प्यारा।
तुमको कैसे पता चला कि 
मैं हूं विष्णु अवतारा।।
लक्ष्मण बोले, तात सुमन्त ने 
आज ए राज उघारा।।
आओ सुनाएं तुमको.......................।।

एकदा तात सुमन्त,
पिताश्री पहुंचे नैमिषारा। 
ऋषियों के संगम में
जहां पर बहती अमृतधारा।
वहीं पिताश्री ने दुर्वासा 
ऋषि से यह भेद विचारा।।
आओ सुनाएं तुमको.......................।।

लक्ष्मण आगे बोले कि 
प्रभु बोल पड़े दोबारा।
तो तुम मान लिए सच में कि
मैं हूं विष्णु अवतारा।।
पर एक बात ओ भ्रात मुझे
समझा दो मुझे इक बारा।।
आओ सुनाएं तुमको.....................।।

लक्ष्मण सौ जल भरे घड़ों में
तुमने कभी निहारा ?
कितने सूरज घड़ों में, 
कितने नभ में ऊपर धारा ?
जो तुझमें वो मुझमें, 
तो मैं कैसे विष्णु अवतारा ?
आओ सुनाएं तुमको......................।।

लक्ष्मण चकित रह गए 
कुछ न बोल सके दोबारा।
देख चकित लक्ष्मण को 
प्रभु ने फिर ए वचन उचारा।।
लक्ष्मण जीवन का सार यही है 
और यही रहस्य हमारा।।
आओ सुनाएं तुमको..................।।

ए दुनिया है रंगमंच सी
नाट्यकला आधारा।
हर प्राणी है जहां कला का
कलाबाज कलाकारा।।
जो जितना करे उम्दा अदा, 
वो उतना इनाम हकदारा।
आओ सुनाएं तुमको..................।।

मैं भी तो कर रहा वही 
हां जो है रोल हमारा?
और नहीं कुछ नया कर रहा
और न ही कुछ न्यारा?
तो फिर बोलो सौमित्र भला 
मैं कैसे हूं विष्णु अवतारा?
आओ सुनाएं तुमको...................।।

रही सही जो कसर थी बाकी 
पूर्ण हो गई इस बारा।
लक्ष्मण जी को सूझ पड़े न 
अब क्या बोलें दोबारा।
चरणों में गिर पड़े प्रभु के 
बोले राम नाम जयकारा।
आओ सुनाएं तुमको...............।।

भक्तों समझ में आया कुछ 
या कथा कहूं दोबारा?
समझ में आया हो तो
समझूं धन्य प्रयास हमारा?
तो आज यहीं विश्राम
सभी को जयश्रीराम हमारा।।
आओ सुनाएं तुमको..................।।

श्रीराम राम रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम्न तत्तुल्यं श्रीरामनाम वरानने।।
                                 ~✍️महेश

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