Bholenath sharma 03 Jan 2024 कविताएँ समाजिक इसे तो गाँवो में ज्यादा तर देखा जाता था। क्योंकि हम लोगों का यही अस्त्र शस्त्र होता है। और बूढे लोगो के टेकने का सहारा है ये फैशन का दौर शायद कोई लेकर चले या नहीं । 5853 0 Hindi :: हिंदी
कभी तुम्हें हमेशा साथ लिए फिरते थे। वो एक बास की थी लाठी जो हमेशा रहती थी साथ तुम तो इस युग के हो , तुम्हे तो आती होगी अब शर्म , बूढे को टेकने का एक सहारा देती थी लाठी अब याद आती है।