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शब्द और ईमान

Irfan haaris 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक शब्द और ईमान दोनों साथ बिकते हैं 8257 0 Hindi :: हिंदी

दायरों और मायनों को साथ रखते हैं
शब्द और ईमान दोनों साथ बिकते हैं
कभी ईमान शब्दों को बेच देता है
कभी शब्द ईमान को बेच देते हैं
लेकिन हां
न कभी ईमान बिकने से कम होता है
न कभी शब्द बिकने से किसी के होते हैं
शब्द बेचना एक कला है
ईमान बेचने को हुनर क्यों कहते हैं
और ये भी एक सच है
शब्द और ईमान की कीमत
औकात को देखकर मिलती है
यूं तो शब्दों पे सबका हक़ है
और ईमान का सब दावा करते हैं
न सबको ये कला आती है
न सबको ये हुनर पता है
शब्द लिखे जाते हैं और दिखते हैं
मगर ईमान दिखता नहीं
फिर भी खरीदा और बेचा जाता है

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